Shodashi No Further a Mystery

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Kadi mantras are regarded as probably the most pure and are sometimes utilized for larger spiritual methods. They are really connected with the Sri Chakra and therefore are considered to provide about divine blessings and enlightenment.

एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः

सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Neighborhood and spiritual solidarity among devotees. Throughout these events, the collective Electricity and devotion are palpable, as contributors have interaction in many sorts of worship and celebration.

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, get more info गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥

संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ 

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